आपकी राय
बदलाव जरूरी
दैनिक ट्रिब्यून का 24 जुलाई का सम्पादकीय ‘देरी का न्याय’ पढ़ने का अवसर मिला, जिसका एक-एक शब्द बिल्कुल सत्य तथा हमारे देश की लचर न्याय व्यवस्था चित्रित करने वाला था। इसमें जरा भी सन्देह नहीं कि देर से मिला न्याय भी अन्याय जैसा ही होता है। लेखक ने मौजूदा न्याय व्यवस्था में सुधारों के लिए जो इशारा किया है, वह बिल्कुल तर्कसंगत है। आशा है कि सरकार तथा न्यायिक तंत्र जनहित में इन सुझावों को अवश्य संज्ञान में लेगा।
एम.एल. शर्मा, कुरुक्षेत्र
मुंहतोड़ जवाब
पाकिस्तान एलओसी पर आतंकियों की घुसपैठ व बड़े पैमाने पर हथियारों को घाटी में पहुंचाने की साजिश रच रहा है। हालांकि, भारतीय सुरक्षा बल भी पूरी तरह से मुस्तैद हैं। पाकिस्तान सीजफायर का उल्लंघन यूं ही नहीं कर रहा बल्कि इसकी आड़ में आतंकियों को सीमा पार से घाटी में घुसाने की कोशिश कर रहा है। भारतीय सैनिक भी मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम हैं।
निधि जैन, लोनी, गाजियाबाद
गहरे अहसास
19 जुलाई के दैनिक ट्रिब्यून के अध्ययन कक्ष अंक में विकेश निझावन की कहानी ‘मातृछाया’ ममता के आंचल की याद ताजा करवाने वाली थी। मां की सेवा, आज्ञा पालन करने से गंगा स्नान तुल्य फल मिलता है। मां की उपेक्षा करना मानो वर्तमान में स्वार्थी संतान का लक्ष्य बन गया है। कथा पात्र कुन्नु-श्रुति का मां के प्रति समर्पण काबिलेतारीफ है।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
सही फैसला
अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद द्वारा ऑस्ट्रेलिया में आयोजित होने वाली टी-20 विश्व कप प्रतियोगिता को स्थगित करने का निर्णय सही है। कोरोना के कारण एक भी विश्वस्तरीय क्रिकेट मैच का आयोजन नहीं हुआ है। अंततः किसी भी देश का कोई भी खिलाड़ी टी-20 विश्व कप खेलने के लिए फिलहाल न तो शारीरिक रूप से कटिबद्ध है और न ही मानसिक।
तुषार आनंद, पटना
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