कोरोना काल में मौके के चौके
सहीराम
वास्तव में ये दिन खून सफेद होने के दिन हैं। जी नहीं, महामारी के डर से यह खून सफेद नहीं हो रहा है। यह खून तो इसलिए सफेद हो रहा है क्योंकि महामारी में इनसान की मदद करने की बजाय उसे मुनाफाखोरी का साधन बना लिया गया है। अगर नकली वेंटिलेटर बेचे जाएंगे, नकली सेनेटाइजर बेचे जाएंगे, रेमडिसिवियर जैसी जीवन रक्षक दवा ब्लैक में बेची जाएगी, कोरोना मरीजों का इलाज पांच-पांच और दस-दस लाख के पैकेज पर किया जाएगा तो खून लाल कैसे रहेगा। उसे सफेद किए बिना कोई मुनाफा कैसे कमा सकता है।
यह खून तब भी सफेद हुआ जब हमने भूखे-प्यासे प्रवासी मजदूरों को अपने घर वापस लौटते हुए देखा और हमारा खून खौलने की बजाय जम गया। जब ट्रक वालों ने उनसे मनमाने दाम वसूले, वे भूख से मरे, वे प्यास से मरे, वे थकान से मरे, वे ट्रकों की टक्कर से मरे, वे ट्रेनों से कट कर मरे। फिर भी हमारा खून नहीं खौला क्योंकि वह सफेद हो गया था, लाल होता तो खौलता। यह खून तब भी सफेद हुआ जब सरकार ने मौके का फायदा उठाया और तेल का भाव मनमाना बढ़ा दिया। जनता अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम कम होते देखकर खुश थी कि हमें भी फायदा मिलेगा लेकिन सरकार ने कहा फायदा हमारा, नुकसान तुम्हारा। सरकार ने मौका देखा और मजदूरों को आठ घंटे की बजाय बारह घंटे के लिए पेल दिया और हड़ताल का अधिकार खत्म। अगर खून लाल होता तो खौल उठता। पर सफेद था।
तो जब खून सफेद हो रहा है, तब टमाटर लाल हो रहा है। बहुत दिन से महंगाई का कोई नाम नहीं ले रहा। तेल की महंगाई पर बस कुढ़ कर ही रह जाते हैं, शोर कोई नहीं मचाता, लाल-पीला कोई नहीं होता। ऐसा नहीं है कि जनता क्या-क्या करे। बीमारी का रोना रोए या महंगाई का रोना रोए। सस्ती दवाओं के लिए छाती पीटे या सस्ती सब्जी के लिए छाती पीटे। लॉकडाउन में सब कुछ महंगा हुआ। सस्ती सिर्फ आदमी की जान हुई। लेकिन न किसी ने सस्ते का रोना रोया और न ही महंगे का। किराने वाले ने गेहूं, चीनी, चावल का जो दाम मांगा, आपने दे दिया। इसलिए नहीं कि आपने यह मान लिया कि यह कोरोना टैक्स था। कोरोना टैक्स तो सिर्फ शराब पर था।
सिगरेट भी आपने शराब की कीमत पर ही ली। अर्थात दुगने रेट पर। सब्जियां भी मनमाने भाव पर ही लीं। डर यही था कि लॉकडाउन में मिल रही हैं, यह क्या कम है। पर लॉकडाउन में जरा सी ढील क्या हुई कि आपको टमाटर लाल दिखाई देने लगा। पर आप यह क्यों भूल गए कि आपका खून सफेद हो चुका है। इसलिए टमाटर को लाल देखकर भी आपको गुस्सा तो आने से रहा।
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