जब स्वास्थ्य की बात होती है, तो भारत में महिलाओं की स्थिति काफी चिंताजनक पाई जाती है। अब तक कई बीमारियों की गिरफ्त में आ चुकी महिलाओं में अब एक नई बीमारी देखने को मिल रही है और इस बीमारी का नाम सुपर वुमन सिंड्रोम। आपको शायद जानकर हैरानी हो लेकिन इस बीमारी के लिए उनकी शारीरिक स्थिति से ज्यादा हमारा सामाजिक ढांचा जिम्मेदार हैं। तो चलिए जानते हैं इस बीमारी के बारे में-

सुपर वुमन सिंड्रोम दरअसल एक ऐसा डिसआंर्डर है, जिसमें महिला खुद को घर-परिवार से लेकर बाहरी जिम्मेदारियों के हर मोर्चे पर सफल होते हुए देखना चाहती है। शायद आपको पता न हो लेकिन भारत में लगभग हर महिला कहीं न कहीं इस सिंड्रोम से पीडित हैं। उनकी परवरिश में ही इस बात को शामिल किया जाता है कि वे घर-परिवार से लेकर बाहर की जिम्मेदारी को पूरा करना अपना कर्तव्य समझती हैं और ऐसा न कर पाने की स्थिति में वे न सिर्फ खुद को कोसती है, बल्कि कभी-कभी तो वे अवसाद की स्थिति में भी पहुंच जाती है।

पिछले कुछ समय में इस सिंड्रोम ने काफी घातक रूप ले लिया है, क्योंकि कुछ वर्षों पहले तक उनके हिस्से में केवल घर और बच्चों की जिम्मेदारी शामिल थी, लेकिन माॅडर्न युग में उनसे यह अपेक्षा की जाती है कि वे

आर्थिक रूप से भी अपने घर के सदस्यों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलें। ऐसे में उन्हें एक साथ कई जिम्मेदारियों का वहन करना पडता है। इतना ही नहीं, हमारे पुरूष प्रधान समाज में उनकी मदद के लिए घर का कोई आगे नहीं आता और हर चीज को परफेक्ट रूप से करने की चाहत में हर दिन खुद को बीमार करती चली जाती हैं।

अगर आप इस सिंड्रोम से बचना चाहती हैं तो आपको सबसे पहले खुद ही यह समझना होगा कि आप कोई रोबोट नहीं है, जो हर काम इतने अच्छे से कर पाएं। इसलिए अपने कामों में मदद लेने के लिए अपने पार्टनर व घर के अन्य सदस्यों की मदद लेने में बिल्कुल भी न हिचकें।

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