जन संसद

शिक्षित हो किसान
किसानों और कृषि की योजनाओं की बात की जाए तो हर राजनीतिक पार्टी की सरकार ने इनमें सुधार लाने के लिए हरसंभव प्रयास किए हैं। फिर भी देश में किसानों की समस्याओं के होने के पीछे कहीं न कहीं सरकारीतंत्र में भ्रष्टाचार और किसानों का अशिक्षित होना भी है। हालांकि, मीडिया किसानों को सरकारों द्वारा बनाई गई नीतियों के प्रति जागरूक करने का भरसक प्रयास करता है। कृषि में सुधार तभी संभव है, जब देश के राजनीतिक दल इस मुद्दे पर राजनीति करना छोड़े और ईमानदारी से काम करे।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर

नई आस
वर्तमान सरकार द्वारा किसानों की आय दोगुनी करने के वादे के साथ हर साल प्रत्येक किसान के खाते में 6000 रुपये नकद डालने, उपज को मनचाहे स्थान पर अच्छे भाव में बेचने, मृदा स्वस्थ कार्ड बनाने, फसल का बीमा कराने व अनाज-तिलहन रखने की अधिकतम मात्रा सीमा ख़त्म करने जैसे नए कृषि सुधारों के लिए एपीएमसी एक्ट व आवश्यक वस्तु अधिनियम जैसे केंद्रीय कानूनों को संशोधित किया गया व नए कानून बनाए हैं। सरकार द्वारा घोषित नये सुधारों से किसानों में एक नई आस जरूर जगी है।
देवी दयाल दिसोदिया, फरीदाबाद
बदलाव की कोशिश
कृषि क्षेत्र में सुधार करने के लिए केंद्र सरकार ने जो एपीएमसी कानून में जो सुधार का फैसला किया है इससे किसानों को अवश्य ही राहत मिलेगी। कानून के तहत जहां किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिलेगा, वहीं वह अपनी उपज को अपनी इच्छा के अनुसार किसी को भी बेच सकेंगे। इसके अतिरिक्त, अनाज-तिलहन रखने की मात्रा को खत्म कर दिया है। देश में लॉकडाउन लागू होने के कारण किसानों की समस्याएं बहुत बढ़ीं। अब उम्मीद की जानी चाहिए कि यह कानून किसानों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा व उनमें एक नई आस जगायेगा।
सतीश शर्मा, माजरा, कैथल
दशा सुधरेगी
सरकारें किसानों की दशा सुधारने के लिए कई घोषणाएं करती रही हैं। मगर किसानों की दशा सुधरी नहीं है। कागज़ों में तो किसानों के लिए बहुत कुछ हो जाता है परन्तु जमीनी स्तर पर कुछ नहीं होता है। अगर सरकार ने किसानों की स्थिति सुधारने के लिए कोई कानून बनाया है तो यह बहुत ही अच्छा कदम है। किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिलना चाहिए। उनको अपनी सहूलियत-अनुसार अपनी उपज कहीं भी बेचने की छूट मिलनी चाहिए। देश में कृषि का ढांचा बहुुत सुदृढ़ होना चाहिए। उम्मीद है किसानों की दशा सुधरेगी।
सत्यप्रकाश गुप्ता, बलेवा, गुरुग्राम
जीवन बेहतर होगा
सरकार द्वारा किसान तथा कृषि की समस्याओं का समाधान करने का निरंतर प्रयास किया जा रहा है। हाल ही में कृषि क्षेत्र में भूमि सुधार और ऋण के लिए सहायता राशि उपलब्ध कराने के साथ-साथ एपीएमसी तथा वस्तु अधिनियम नियमों में बदलाव जैसे कदम उठाए गए हैं, जिसके चलते किसानों को उनके उत्पादन का उचित मूल्य मिलने के साथ-साथ उत्पादन बिक्री मे काफी हद तक सहायता मिल सकेगी। इससे किसान का जीवन और बेहतर हो सकेगा। किसानों के हित में सरकार के कदम सराहनीय हैं।
अमित रस्तोगी, बरेली, उ.प्र.
संकट में राहत
हाल ही में किसानों की दशा सुधारने एवं जमीनी स्तर पर समस्याओं के निवारण हेतु सरकार ने कई बदलाव किये हैं। नि:संदेह सरकार ने एपीएमसी कानून में संशोधन करके किसानों को राहत पहुंचाने की कोशिश की है, लेकिन बीच में भ्रष्टतंत्र के चलते क्या यह सब जमीन स्तर पर हो पायेगा, इस पर शंका बनी हुई है। वहीं इस पर जब राजनीतिक मुद्दे हावी होते हैं तब सारे कानून व किसानों की दशा सुधारने की बातें धरी की धरी रह जाती हैं। इसके लिए ईमानदार कोशिश एवं जवाबदेही तय करनी होगी, क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था में किसान की सबसे बड़ी भूमिका है। कोरोना काल में कृषि और किसान की भूमिका को सभी ने देखा है, इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
मुकेश भट्ट, लुधियाना

पुरस्कृत पत्र
दूरगामी कदम
एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केट कमेटी एक्ट में बदलाव कर अब किसानों को अपने उत्पादन को देश के किसी भी राज्य में ले जाकर बेचने की छूट देकर सरकार ने बहुत ही सराहनीय कार्य किया है। लेकिन किसान असंगठित, गरीब और सरकार पर दबाव बनाने की स्थिति में नहीं होता। इसके विपरीत आढ़तियों और बिचौलियों का संगठन बहुत सशक्त होता है, जो सरकार पर अक्सर दबाव डालकर अपने पक्ष में सभी कानून कर लेता है। इस पर सरकार को किसानों के साथ भविष्य में अन्याय न हो, इसके लिए सतर्क रहना होगा।
निर्मल कुमार शर्मा, गाजियाबाद, उ.प्र.

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