कोरोना की बंदिशों को व्यावहारिक बनायें

Jalandhar: Health workers use thermal screening devices on vendors at a wholesale vegetable market during a government-imposed nationwide lockdown as a preventive measure against the spread of coronavirus, in Jalandhar, Monday, April 20, 2020. (PTI Photo)(PTI20-04-2020_000097A)
राजेन्द्र चौधरी
निश्चित तौर पर 3 मई के बाद तालाबंदी में राहत दी जायेगी। फ़िलहाल देशभर में चर्चा चल रही है कि तालाबंदी खोलने में क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए। निश्चित तौर पर पहाड़ की चोटी और घाटी से नजारा अलग-अलग दिखता है।
20 अप्रैल से लागू छूट के लिए केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार जिन इलाकों में छूट लागू होगी वहां भी सार्वजानिक वाहन-टैक्सी नहीं चल सकेंगी और अपनी कार में भी केवल दो लोग सफ़र कर सकते हैं, एक अगली सीट पर व एक पिछली सीट पर, एवं दो पहिया वाहन पर तो केवल एक व्यक्ति ही चल सकता है। पहली बात तो ऐसी छूट का फायदा उनको ही मिल पायेगा जिनके पास अपने निजी वाहन हैं। जिन के पास अपने वाहन नहीं हैं, उन के लिए तो तालाबंदी उठने के बावज़ूद बड़े पैमाने पर तालाबंदी जारी रहेगी। दूसरी ओर दुनियाभर के अख़बारों में तालाबंदी के बाद हवा और नदियों की सफाई की खबरें-फ़ोटो छपे हैं। इसलिए स्पष्ट है कि अगर हवा-पानी को साफ़ रखना है तो निश्चित तौर पर निजी वाहनों के स्थान पर सार्वजनिक यातायात को बढ़ावा देना होगा। इसलिए चाहे पर्यावरण की दृष्टि से देखें या तालाबंदी के बाद सामान्य जीवन की बहाली की दृष्टि से देखें, सार्वजनिक यातायात को छूट देनी ज़रूरी है।
सवाल उठेगा कि सार्वजनिक वाहनों में ‘दो गज़ की दूरी’ तो बनाकर नहीं रखी जा सकती। निश्चित तौर पर ऐसा करना संभव नहीं है पर क्या अब भी सरकारी वाहनों तक में केवल दो व्यक्ति होते हैं? निश्चित तौर पर ऐसा नहीं हो रहा; ड्राइवर और मंत्री के अलावा कम से कम एक संतरी तो होता होगा। कोरोना से बचने के लिए भीड़-भाड़ से बचना चाहिए पर ऐसा भी नहीं है कि कोरोना का वायरस चुम्बक की तरह आप की ओर खिंचा चला आयेगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कोरोना वायरस खांसी-छींक या बोलते हुए निकली बूंदों के माध्यम से फैलता है। वैज्ञानिकों ने अनुसार जब बूंद की नमी सूख जाती है तो वायरस प्रभावी नहीं रहता। वायरस वाली बूंदें दो तरह से कोरोना को फैला सकती हैं। कोरोना का वायरस या तो सांस के माध्यम से हमारे अन्दर जा सकता है या जब हम संक्रमित जगह को छू कर अपने मुंह, नाक या आंख को छूते हैं। इसलिए अगर सार्वजनिक स्थान पर हम मास्क लगाकर रहें और जहां तक हो सके चीज़ों को छूने से बचें, हाथों को बार-बार साबुन से धोएं एवं मुंह, नाक और आंख को छूने से बचें तो फिर कोरोना से हम बच सकते हैं।
इसलिए अगर चेहरे पर मास्क लगाया हो और खिड़की खुली हो तो कार में चार व्यक्ति और दो पहिया वाहन पर दो व्यक्ति होने पर भी कोई बड़े खतरे वाली बात नहीं है। वैसे भी यह याद रखना ज़रूरी है कि कोरोना फैलता भले ही तेज़ी से है पर यह बहुत घातक नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अधिकांश मामलों में तो अपने आप, बिना संक्रमित व्यक्ति को पता चले, संक्रमण ख़त्म हो जाता है। सावधानी ज़रूर बरती जानी चाहिए पर कोरोना का हौवा भी न बनाएं। तालाबंदी का मकसद है भीड़ से बचना। अब जब बड़े पैमाने पर इसकी जानकारी लोगों को हो चुकी है, इसलिए कुछ हद तक, हमें लोगों के विवेक पर भी भरोसा करना चाहिए। तालाबंदी खुलने के बावज़ूद, अगर लोगों के लिए संभव हुआ, तो बिना सरकारी आदेशों के भी लोग भीड़-भाड़ वाली जगह से दूर रहेंगे। हां, सावधानी के तौर पर कोरोना पीड़ित व्यक्ति के लिए एकांतवास की अनिवार्यता की कानूनी व्यवस्था जारी रह सकती है। इसके साथ ही यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि किसी को भी उसकी मर्जी के खिलाफ़ ऐसी भीड़ भरी जगह में काम न करना पड़ें जहां वह अपने आप को कोरोना से न बचा पाए।
दूसरा बड़ा मसला परीक्षाओं का है। स्कूलों की कुछ परीक्षाएं हो गई हैं और कुछ होनी रहती हैं। कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की तो परीक्षाएं होनी ही हैं। कुछ शिक्षण संस्थाओं ने ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था की है पर सब विद्यार्थी चाहकर भी इनमें शामिल नहीं हो पाये हैं। इसलिए परीक्षा की दृष्टि से हमें यह मानकर चलना चाहिए कि यह पढ़ाई नहीं हुई। अगर इन विषयों को दोबारा पढ़ाना संभव न हो, तो इन पाठों को परीक्षा में शामिल नहीं करना चाहिए। ऑनलाइन या डिजिटल व्यवस्था की सुविधा उपलब्ध कराना एक बात है, पर इसे अनिवार्य बनाना दूसरी बात है।
पुनश्च: सांख्यिकी का बुनियादी सिद्धांत है कि हर सांख्यिकीय अवधारणा, औसत हो या कोई अन्य, के अपने गुण-दोष होते हैं। इसको ध्यान में रखकर उनका प्रयोग होना चाहिए। यह बात अनुपात पर भी लागू होती है। आंख बंदकर के यंत्रवत् तरीके से हर उद्योग में 50 प्रतिशत श्रमिकों का नियम नहीं लागू किया जा सकता। एक बस में ड्राइवर और कंडक्टर दो कर्मचारी होते हैं, अगर संख्या 50 प्रतिशत रखनी है तो किस को हटाओगे? यही बात दुकानों पर लागू होती है। यंत्रवत् तरीके से 50 प्रतिशत का नियम हर जगह लागू नहीं किया जा सकता। यह कहना पर्याप्त है कि पर्याप्त दूरी बनाकर रखी जानी चाहिए।
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