ट्विटर पर उमर अब्दुल्ला से भिड़े गंभीर, कहा...आपको पाकिस्तान चले जाना चाहिए
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जैसे जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, नेताओं के बीच जुबानी जंग भी तेज हो रही है। ताजा मामला हाल में बीजेपी में शामिल हुए पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर और नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के बीच ट्विटर पर हुई तीखी बहस का है। बहस के दौरान गंभीर ने उमर अब्दुल्ला को यहां तक कह डाला कि उन्हें पाकिस्तान चले जाना चाहिए। गंभीर की यह टिप्पणी उमर के उस बयान पर थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता बहाल करने की कोशिश करेगी और वहां एक बार फिर 'वजीर-ए-आजम' (प्रधानमंत्री) हो सकता है। मंगलवार को गौतम गंभीर ने ट्वीट किया, 'उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के लिए एक अलग प्रधानमंत्री चाहते हैं और मैं महासागर पर चलना चाहता हूं। उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के लिए अलग प्रधानमंत्री चाहते हैं और मैं चाहता हूं कि सूअर उड़ने लगें।' उन्होंने कहा कि उमर को 'थोड़ी नींद और एक कड़क कॉफी' की जरूरत है और यदि वह फिर भी नहीं समझ पाए तो उन्हें 'हरे पाकिस्तानी पासपोर्ट' की जरूरत है। गंभीर को जवाब देते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा 'गौतम, मैंने कभी ज्यादा क्रिकेट नहीं खेला, क्योंकि मुझे पता था कि मैं इस मामले में बहुत अच्छा नहीं हूं। आप जम्मू-कश्मीर, इसके इतिहास या इतिहास को आकार देने में नेशनल कॉन्फ्रेंस की भूमिका के बारे में ज्यादा जानते नहीं...फिर भी आप अपनी अनभिज्ञता सबको दिखाने पर आमादा हैं।' गंभीर ने अब्दुल्ला पर पलटवार करते हुए ट्वीट किया 'आपकी क्रिकेट की अकुशलता पर ध्यान नहीं देता, लेकिन कश्मीरी और हमारे देश की सेवा ज्यादा बेहतर होती अगर आप स्वार्थरहित शासन के बारे में एक और दो चीजें जानते। वैसे इतिहास अटल है, लेकिन विचारधारा व्यक्तिपरक। बेहतर है कि आप अपना चश्मा साफ कर लें।' बता दें कि सोमवार को उत्तर कश्मीर के बांदीपुरा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि 'आज हमारे ऊपर तरह-तरह के हमले हो रहे हैं। 2020 तक कश्मीर से 35A और 370 को हटाए जाने की बात कही जा रही है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी हाल ही में कहा था कि कि जम्मू-कश्मीर से धारा 35A और 370 को हटाया जाएगा।' जिसके जवाब में अब्दुल्ला ने कहा था, 'जम्मू कश्मीर बाकी रियासतों की तरह नहीं है, बाकी रियासत बिना शर्त के हिंदुस्तान में मिल गईं, लेकिन हमने शर्त रखी, हम मुफ्त में नहीं आए। हमने कहा कि हमारी अपनी पहचान होगी, अपना संविधान होगा। हमने उस वक्त अपने 'सरदार-ए-रियासत' और 'वजीर-ए-आजम' को भी रखा था, इंशाअल्लाह उनको भी हम वापस ले आएंगे।'
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