रियल एस्टेट की एश्योर्ड रिटर्न स्कीम्स में पैसा लगाने से पहले रहे सावधान, ये हैं जोखिम
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एश्योर्ड रिटर्न 'संभावित खरीदारों को आकर्षित करने के लिए कमर्शियल और रेसिडेंशियल प्रोजेक्ट में इस्तेमाल की जाने वाली सबसे लोकप्रिय शर्तों में से एक है। कई डेवलपर्स अपने रियल एस्टेट प्रोजेक्ट पर एश्योर्ड रिटर्न का वादा करते हैं, जो पजेशन तक 12-18% रिटर्न की पेशकश करते हैं। इस तरह के विज्ञापन भोली जनता को अपने निर्माणाधीन प्रोजेक्ट्स में पैसा लगाने का लालच देते हैं। बाजार में ऐसी योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न नामों का भी उपयोग किया जा रहा है। ऐसे प्रोजेक्ट में इन्वेस्टमेंट के क्या हैं जोखिम? सिक्यॉरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने पहले ही एश्योर्ड रिटर्न्स को अवैध पोंजी स्कीम के रूप में घोषित किया है। यह उपभोक्ताओं को उनके पैसे का निवेश करने के प्रति आगाह करता है जहां सुनिश्चित रिटर्न का वादा किया जाता है या अवास्तविक रिटर्न की पेशकश की जाती है। कई खरीदारों ने अतीत में शिकायत की कि डेवलपर्स ने या तो उन्हें भुगतान करना बंद कर दिया या नियमित भुगतान के कुछ महीनों के बाद चेक बाउंस हो गए। कभी-कभी मूलधन भी अटक जाता है और खरीदार खुद को ठगा हुआ पाते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आपको वास्तव में एश्योर्ड रिटर्न ’योजनाओं में निवेश करना चाहिए? कैबिनेट ने हाल ही में अनरेगुलेटेड डिपोजिट स्कीम्स बिल, 2018 में संशोधन के लिए एक प्रस्ताव को मंजूरी दी है। यह कानून सुनिश्चित रिटर्न योजनाओं पर रोक लगाने और उन्हें 'पोंजी' स्कीम्स के रूप में मानने की छूट देता है। खरीदारों को ऐसी योजनाओं में अपनी मेहनत की कमाई को निवेश करने से पहले सावधानी बरतनी चाहिए और उचित रिसर्च कर लेना चाहिए। SEBI की ओर से अप्रूव की गई योजनाओं को ही सुरक्षित माना जाता है और खरीदारों को निवेश करने से पहले इसकी जांच करनी चाहिए। रिटर्न की कोई गारंटी नहीं सुप्रीम कोर्ट के वकील सुंदर खत्री कहते हैं, 'एश्योर्ड रिटर्न स्कीम जोखिम भरा है। कुछ बिल्डर पैसा लेते हैं और तय किराये आदि का आश्वासन देते हैं। जब संपत्ति नहीं होती है तो वे किराए का भुगतान कैसे कर सकते हैं? खरीदारों को ऐसी योजनाओं के बारे में पता होना चाहिए और उनके निवेश को जोखिम में नहीं डालना चाहिए। सेबी ऐसी योजनाओं को मंजूरी नहीं देता है और बिना मंजूरी के खरीदारों को ऐसी योजनाओं में निवेश नहीं करना चाहिए।' खत्री बताते हैं 'लोग उच्च ब्याज दर का लाभ उठाने के लिए ऐसी योजनाओं में निवेश करते हैं। लेकिन अगर आपका मूलधन खतरे में है तो ऐसे रिटर्न की कोई गारंटी नहीं है। ऐसी योजनाओं के साथ खरीदारों को धोखा देने वाले लोगों के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की गई हैं। आपको यह समझना चाहिए कि आपके मूलधन और ब्याज दोनों को खोने का एक उच्च जोखिम है। ऐसे धोखाधड़ी के खिलाफ खरीदारों की सुरक्षा के लिए RERA की शुरुआत की गई थी। निवेश से पहले ऐसी योजनाओं को सत्यापित कर लेना चाहिए।' कानूनी उपाय अतीत में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां खरीदारों ने ऐसी योजनाओं में निवेश किया है और फंस गए हैं। वे क्या कर सकते हैं? 'जो खरीदार ऐसी योजनाओं में फंस गए हैं, वे या तो एनसीएलटी में एक मुकदमा दायर कर सकते हैं या सिविल कोर्ट में जाकर एक रिकवरी सूट दाखिल कर सकते हैं। कभी-कभी बिल्डर के जेल में होने के बाद भी खरीदार अपना पैसा वसूलने में नाकाम रहते हैं। जब लौटाने के लिए पैसे नहीं हैं, तो आप क्या कर सकते हैं?' RERA प्रोटेक्शन हरियाणा रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (H-RERA) ने कहा कि यह उन डेवलपर्स को नोटिस जारी कर रहा है, जो "एश्योर्ड रिटर्न्स" का वादा करते हुए लोगों को अपनी रेसिडेंशियल और कमर्शियल प्रोजेक्ट में निवेश करने का लालच दे रहे हैं। गुरुग्राम H-RERA के अध्यक्ष केके खंडेलवाल ने कहा, 'हमने उन डेवलपर्स के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला किया है जो रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स की आड़ में एश्योर्ड रिटर्न्स का वादा कर लोगों को बेवकूफ बना रहे हैं। केके खंडेलवाल ने कहा, यहां तक कि जो एजेंट एश्योर्ड रिटर्न के टैग के साथ प्रोजेक्ट बेच रहे हैं, उन्हें पकड़ा जाएगा। 'अगर कोई डेवलपर एश्योर्ड रिटर्न्स के वादे के साथ बेचे जा रहे अपने प्रोजेक्ट पर जोर देता है, तो एजेंटों को H-RERA से संपर्क करना चाहिए। अथॉरिटी शिकायत की जांच करेगा और अगर डेवलपर को इस तरह की पैक्टिस का दोषी पाया जाता है, तो उनका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाएगा। तो अब आप जान गए हैं कि जब आपको को एश्योर्ड रिटर्न्स योजना का विज्ञापन दिखाता है तो आपको क्या करने की आवश्यकता है।
from दैनिक भास्कर हिंदी http://bit.ly/2Vs5qZD
via Latest News in Hindi
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